Harla Jori
The Origin of Baidyanath Dham...
Harla Jori - हरला जोरी
Harla Jori also sometimes referred to as Harila Jori, situated to the north of Deoghar about 5 kms away from the Baba Baidyanath temple. The site has a Shiva Temple with an old lingam which is replete with a number of legends.
During the ancient days, the place was overgrown with Haritaki trees. According to legends and mythology, the Shivlinga in the temple is believed to have sprouted up from beneath a yellow Myrobalan (Haritakai) tree because of which it is also called “Haritkinath”, since it sprouted by itself its is also known as Swayambhu Lingam.
It was further fabled that here is the place where Ravana handed over the lingam to Lord Vishnu disguised as a shepherd and went for nature’s call.
A stream flows here and is known as Ravana Jori. The legends further states that both Shiva and Vishnu met here – hence the name Harla Jori or Hari Hara Jori.
Next the temple is the Shool Harini stream the peace and tranquility adds to the divinity of the place, moments spent here are a treasure of a lifetime.
बाबा नगरी देवघर में बाबा मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर उत्तर मे एक और उपासना स्थल है जो बहुत प्राचीन और पौराणिक महत्व का होने के बाद भी पहचान से गुम है. यह है हरला जोरी जिसकी अधिक चर्चा नहीं होने के कारण कुछ जानकार भक्त ही यहां तक पहुंच पाते हैं । हरला जोरी नाम की उत्पत्ति के पीछे कई कहानियाँ प्रचलित हैं, इनमे एक इस स्थान पर हरि अर्थात विष्णु एवं हर अर्थात शिव की जोड़ी बनी इस वजह इस जगह का नाम हरला जोरी माना जाता है ।
यहीं रावण ने चरवाहे के रूप मे विचरण कर रहे भगवान विष्णु को थमाया था शिवलिंग।
हरला जोरी स्थल का पौराणिक महत्व है । कहते हैं कि रावण कैलाश पर्वत से बाबा भोले नाथ को लेकर लंका ले जा रहा था । तभी रावण को लघु शंका लगी । तब इसी जगह पर उसने चरवाहे के रुप में भगवान विष्णु को शिव लिंग थामने के लिए कहा था। यह सबको पता है कि यदि यह घटना नहीं होती तो आज वैद्यनाथ मंदिर झारखंड में नहीं, श्रीलंका में स्थापति होता ।
पौराणिक कथाओं मे वर्णित है, जब चरवाहे के रूप मे विष्णु द्वारा शिवलिङ्ग धरती पर रख दिया गया और फलस्वरूप लंकापति उसे लंका नहीं ले जा पाए तब कुपित हो लंकापति रावण ने मुष्टिक प्रहार से एक पेड़ गिर गया, तब उसके जड़ों के नीचे एक शिवलिंग प्रकट हुआ जो ‘हरितकिनाथ’ के नाम से जाना जाता है, यही शिवलिंग आज यहाँ स्थापित है, और शिव के द्वारा प्रदत्त स्वयंभू शिवलिंग होने से इसे साक्षात शिव ही माना जाता है। इस मंदिर परिसर में शिवलिंग के आलावा अन्य भी देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, लेकिन सबसे विशेष चरवाहा के रुप में आए भगवान विष्णु का पद चिन्ह और एक जल स्त्रोत है जिसे रावण की लघु शंका वाली घटना से जोड़ते हैं. इस रावण जोरी कहते हैं।
Devotion to Baba is pleasure that can’t be described in words, it knows NO boundaries of age, gender or ethnicity, often it leads to places and destination almost involuntarily. We are glad one of our visitor got inspired and went around the place and came up with a pretty impressive Vlog hope you like it… Click here to View